आईटीआई प्रशिक्षणार्थी संघर्ष समिति के बैनर तले दर्जनों अभ्यर्थियों ने साकेत आईटीआई कॉलेज के प्राचार्य का घेराव किया। प्राचार्य की खाली कुर्सी देकर छात्र ओर भड़क गए और वह कार्यालय में ही धरने पर बैठ गए। छात्रों का कहना था कि धरने देते हुए चार दिन हो गए है, लेकिन किसी ने भी छात्रों की सुध नहीं ली, जिस कारण अभ्यर्थियों में रोष फैला हुआ है।
समिति के अध्यक्ष मिंटू सिंह ने बताया कि वह अपनी मांगों को लेकर पिछले चार दिन से शांतिपूर्ण तरीके से साकेत आईटीआई के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे है। कोई भी अधिकारी उनकी सुध नहीं ले रहा है। बताया कि जुलाई 2013 का परीक्षा परिणाम यह दर्शाते हुए निरस्त कर दिया गया था कि हम सभी परीक्षार्थी केनाम वर्ष 2014 के वेब पोर्टल पर परीक्षा के लिए पड़े थे। बड़ी विचित्र बात है कि जिनके नाम वेब पोर्टल 2011-13 व 2012-14 पर नहीं थे, मात्र एक शपथ पत्र लेकर उनका परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया, जबकि हमारा परीक्षा परिणाम फर्जी बताकर निरस्त कर दिया गया। छात्रों ने बताया कि लगातार प्रयास करने के बाद भी मामले को लंबित किया जा रहा है।
क्योकि व्यवसायिक शिक्षा विभाग के अधिकारी जानते है कि छात्र गरीब है, जिस कारण वह वकीलों की फीस देकर लड़ाई नहीं लड़ सकते है। उन्होंने कहा कि वेब पोर्टल पर नाम अंकित करने का अधिकार संस्थान का था, छात्रों का नहीं था। छात्रों ने कहा कि वेब पोर्टल में गड़बड़ी थी, जिस कारण वर्ष 2013 की परीक्षा ओएमआर शीट पर कराई थी। पोर्टल में गड़बड़ी होने के कारण यह व्यवस्था विभाग द्वारा की गई थी। वहीं पोर्टल पर नाम अंकित करने की जिम्मेदारी संबंधित संस्थान की थी। जबकि पोर्टल में त्रुटि की सजा छात्रों को दी जा रही है। आरोप लगाया कि व्यवसायिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने एक पक्षीय निर्णय लेकर परीक्षा परिणाम निरस्त कर दिया। जिस कारण छात्रों का आर्थिक, सामाजिक व मानसिक शोषण हो रहा है और उनका भविष्य अंधकार मय हो गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक उनका परीक्षा परिणाम घोषित नहीं होता है वह अनिश्चितकालीन के लिए धरना प्रदर्शन व आंदोलन पर रहेंगे। इस दौरान प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को मेरठ कॉलेज के छात्रों ने भी समर्थन दिया।
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