जुमे की नमाज में के लिए उमड़े रोजेदार
शहर क्षेत्र की सभी मस्जिदों में शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिये रोजेदारों का जन सैलाब उमड़ा। इस दौरान सभी पुरसुकून माहौल में जुमे की नमाज अदा की। नमाज के बाद सभी ने मुल्क की तरक्की, सब की हिफाजत, अमन चेन और भाई चारा कायम रहने की दुआ की।
नमाज से पहले सभी मस्जिदों के आईम्मा हजरात ने माह रमजान और जकात की अहमियत बयान की। शाही जामा मस्जिद में नमाजियों की सबसे ज्यादा भीड़ रही। यहा नमाज से पहले शहर काजी जैनुस साजिद्दीन ने रमजान की अहमियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह मुबारक महीना बड़ी रहमत एवं बरकतों का है। हर हैसियतमंद मुसलमान को जकात अदा करनी चाहिए।
शहर काजी ने एहतकाफ की अहमियत भी बयान की। इस दौरान शहर काजी ने स्मार्ट सिटी की मांग को अहम बताते हुए लोगों से कहा कि इसके लिये ज्यादा से ज्यादा वोटिंग की जानी चाहिए। कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने भी माह रमजान एवं जकात के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा जकात गरीब एवं जरूरतमंदों को दी जाए। इसके बाद शहर काजी ने जुमे की नमाज पढ़ाई और शहर की शांति और आपसी सौहार्द के लिए दुआ कराई।
इस मौके पर शाही जामा मस्जिद के बाहर सुरक्षा व्यवस्था चौकस रही। दरियागंज की मस्जिद शाने इलाही के इमाम मौलाना जिब्राईल ने नमाज से पूर्व खिताब फरमाया कि रमजान के तीन अशरों में से मगफिरत का दूसरा अशरा गुजरने वाला है। उन्होंने फरमाया कि इस्लाम के पांच बुनियादी रूकुन (पाठ) हैं, कलमा तय्यबा, नमाज, रोजा, जकात और हज। जकात में सबसे पहला हक रिश्तेदारों का है इसके बाद पड़ोसी और गरीबों का।
इसके अलावा पत्थर वाली मस्जिद, होजवाली मस्जिद खैरनगर, जलीकोठी, मकबरा अब्बू, गुजरी बाजार, शाहपीर गेट, इस्लामाबाद, रशीद नगर, घंटा घर, ईदगाह चौराहा, बागपत गेट, सोतीगंज आदि मस्जिदों में भी आईम्मा हजरात ने जुमे की नमाज से पहले कहा कि माह रमजान की 21वीं रात से शबे कद्र की तलाश का मौका आता है। शबे कद्र में एक रात की इबादत का सवाब हजार महीनों से बेहतर है। उन्होंने बताया कि शबे कद्र की संभावना माह रमजान की 21, 23, 25, 27 और 29 वीं शब में ज्यादा रहती है।
शहर काजी ने एहतकाफ की अहमियत भी बयान की। इस दौरान शहर काजी ने स्मार्ट सिटी की मांग को अहम बताते हुए लोगों से कहा कि इसके लिये ज्यादा से ज्यादा वोटिंग की जानी चाहिए। कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने भी माह रमजान एवं जकात के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा जकात गरीब एवं जरूरतमंदों को दी जाए। इसके बाद शहर काजी ने जुमे की नमाज पढ़ाई और शहर की शांति और आपसी सौहार्द के लिए दुआ कराई।
इस मौके पर शाही जामा मस्जिद के बाहर सुरक्षा व्यवस्था चौकस रही। दरियागंज की मस्जिद शाने इलाही के इमाम मौलाना जिब्राईल ने नमाज से पूर्व खिताब फरमाया कि रमजान के तीन अशरों में से मगफिरत का दूसरा अशरा गुजरने वाला है। उन्होंने फरमाया कि इस्लाम के पांच बुनियादी रूकुन (पाठ) हैं, कलमा तय्यबा, नमाज, रोजा, जकात और हज। जकात में सबसे पहला हक रिश्तेदारों का है इसके बाद पड़ोसी और गरीबों का।
इसके अलावा पत्थर वाली मस्जिद, होजवाली मस्जिद खैरनगर, जलीकोठी, मकबरा अब्बू, गुजरी बाजार, शाहपीर गेट, इस्लामाबाद, रशीद नगर, घंटा घर, ईदगाह चौराहा, बागपत गेट, सोतीगंज आदि मस्जिदों में भी आईम्मा हजरात ने जुमे की नमाज से पहले कहा कि माह रमजान की 21वीं रात से शबे कद्र की तलाश का मौका आता है। शबे कद्र में एक रात की इबादत का सवाब हजार महीनों से बेहतर है। उन्होंने बताया कि शबे कद्र की संभावना माह रमजान की 21, 23, 25, 27 और 29 वीं शब में ज्यादा रहती है।
0 comments:
Post a Comment