कैंट बोर्ड के सीईई अनुज सिंह को न्यायालय एसीजेएम-दशम योगेश कुमार ने रविवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। बचाव पक्ष ने अनुज का हत्या की धारा में न्यायिक रिमांड न बनाने की अपील की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस दौरान कचहरी में सैकड़ों की संख्या में दोनों पक्षों के लोग मौजूद रहे। भीड़ ने अनुज सिंह को पुलिस जीप से खींचने की कोशिश की। इंस्पेक्टर से हाथापाई कर दी गई। एसपी सिटी ने सख्ती दिखाते हुए भीड़ को लाठी फटकारते हुए खदेड़ दिया।
शनिवार तड़के छावनी स्थित 210 बी के आरआर मॉल के ध्वस्तीकरण के दौरान दीपक शर्मा, उनके बेटे आकाश उर्फ हनी, होमगार्ड ओमवीर और लवकुश उर्फ गोविंदा की मलबे में दबकर मौत हो गई थी। इस मामले में कैंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ) राजीव श्रीवास्तव, मुख्य अधिशासी अभियंता (सीईई) अनुज सिंह समेत छह अफसरों के खिलाफ हत्या और संबंधित धाराओं में केस दर्ज हुआ था। पुलिस ने अनुज सिंह को घटना के कुछ समय बाद ही गिरफ्तार कर लिया था।
आरोपी अनुज सिंह को रविवार को कचहरी में ड्यूटी मजिस्ट्रेट एसीजेएम-दशम के समक्ष पेश किया गया। न्यायालय में आरोपी और पीड़ित पक्ष की ओर से बहस की गई। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी अनुज सिंह के खिलाफ हत्या की धारा में रिमांड बनाने के आदेश करते हुए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजने के आदेश दिए।
बचाव पक्ष ने यह दी दलील
बचाव पक्ष के अधिवक्ता संजीव कुमार गुर्जर ने न्यायिक रिमांड के समय दलील देते हुए कहा कि मॉल को तोडे़ जाने वाली टीम का अनुज सिंह हिस्सा नहीं थे। घटना के समय मौके पर पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। बिल्डिंग तोड़ने के लिए गाजियाबाद की टीम मौजूद थी। अनुज की न तो किसी से दुश्मनी थी और न ही किसी को मारने का कोई उद्देश्य था। पूरी कार्यवाही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार ही की गई थी। यह घटना सिर्फ एक हादसा है। अनुज के खिलाफ हत्या का आरोप प्रथम दृष्टया नहीं बनता है। और यदि आरोपी माना भी जाता है, तो सिर्फ गैर इरादतन हत्या का आरोप बनता है।
यह बोले पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता अजय गुप्ता ने आरोपी पक्ष के अधिवक्ता की दलीलों का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि अनुज सिंह द्वारा चार लोगों की हत्या कराई गई है। बिल्डिंग तोडे़ जाने से पहले न तो कोई मुनादी कराई गई और न ही पूरी बिल्डिंग की तलाशी ली गई कि कोई व्यक्ति अंदर मौजूद तो नहीं हैं। यह सीईई अनुज सिंह के द्वारा हत्या को अंजाम देने का मामला है।
न्यायालय ने यह दिया फैसला
न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि इस तरह की कार्यवाही किए जाने से पूर्व मौके पर मुनादी अवश्य होनी चाहिए। इस मामले में दर्ज एफआईआर के तथ्य पूर्ण रूप से हत्या से जुडे़ हैं। ऐसा कोई भी साक्ष्य न्यायालय के समक्ष मौजूद नहीं है, जिससे हत्या का रिमांड न बनाया जा सके। न्यायालय ने आरोपी अनुज सिंह का हत्या (302 आईपीसी), बलवा (147 आईपीसी) सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किया गया आपराधिक कार्य (34 आईपीसी) की धाराओं में न्यायिक रिमांड बनाने के आदेश जारी किए।
न्यायालय ने जताई नाराजगी
जब न्यायालय ने आरोपी अनुज सिंह का हत्या के मामले में रिमांड बनाए जाने के आदेश जारी किए तो वहां मौजूद व्यापारियों में सेे कुछ ने ताली बजाकर आदेश का स्वागत किया। इस पर न्यायालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे न्यायालय की कार्यवाही में बाधा पहुंचाया जाना बताया। न्यायालय के सख्त रुख को देखते हुए वहां मौजूद पुलिस बल ने सभी व्यापारियों को अदालत से बाहर कर दिया।
कचहरी में जमकर हंगामा
अनुज सिंह को अदालत में पेश करने लाने के दौरान भारी पुलिस फोर्स लगाई गई थी। एसपी सिटी ओपी सिंह, सीओ रणविजय सिंह आठ थाना प्रभारी और पीएसी की मौजूदगी में व्यापारियों ने जमकर हंगामा करते हुए नारेबाजी की। कई बार भीड़ ने अनुज को खींचने की कोशिश की। एसपी सिटी ने सख्ती दिखाते हुए भीड़ को खदेड़ा।
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