अनुज तू रोज आकर धमकी देता था, कि दीपक तुझे इसी मॉल में दफन कर दूंगा। मुझे नहीं पता था कि तू इस तरह मेरे परिवार को उजाड़ देगा। आज तो तूने मेरी दुनिया ही लूट ली। मेरे परिवार को खत्म ही करना था तो फिर मुझे जिंदा क्यों छोड़ा।
दिन निकलने से पहले मेरा सुहाग ही नहीं घर का चिराग भी बुझा दिया। यह शब्द थे दीपक शर्मा की पत्नी चित्रा शर्मा के, जिसने अपने पति और इकलौते बेटे को मॉल के मलबे में खो दिया। पति और बेटे की मौत के बाद चित्रा सुबह से लेकर शाम तक अपनों की याद में बिलखती रही। शाम को पति और बेटे की लाश पहुंची तो आंखों में बहने के लिए न ताू आंसू बचे थे और न ही गले में चीखने के लिए आवाज।
सदर थाना क्षेत्र के चूड़ी बाजार निवासी दीपक शर्मा (नॉन वाले) 17 साल पहले 1999 में आरआर मॉल में करीब 15 लाख रुपये में दुकान लेकर नॉन का काम शुरू किया था। दीपक शर्मा की छवि भी ऐसी थी कि जो एक बार उनसे मिलता था वह उनके व्यवहार का कायल बन जाता था। समय बढ़ने लगा तो दीपक शर्मा की दुकान भी ऊंचाईयों पर पहुंचती गई। आम आदमी से लेकर कारोबारी और पुलिस अफसर, कैंट बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारी भी नॉन की दुकान पर पहुंचते थे।
शनिवार तड़के करीब पांच बजे दीपक शर्मा घर में स्नान करने के लिए मंदिर जाने की तैयार कर रहे थे, इस बीच दो लोग उनके घर पहुंचे और कहा कि शर्मा जी आपकी दुकान तोड़ी जा रही है जल्दी से पहुंचकर सामान निकाल लो। दीपक शर्मा के साथ उनका इकलौता बेटा आकाश उर्फ हनी शर्मा (16) भी पिता के साथ दुकान पर जाने के लिए चल दिया।
जिस समय दोनों दुकान पर पहुंचे तो मॉल तोड़ने के लिए जीसीबी लगी हुई थी। इस बीच दीपक ने चिल्लाते हुए कहा कि अभी रूक जाओ, दुकान में मेरे कारीगर सोये हुये हैं। अपने कारीगर को जगाने के लिए वह दुकान के बराबर में पहुंचा, तो बेटा भी साथ था। इसी बीच मॉल की पूरी बिल्डिंग भरभराकर गिर गई। जिसमें उनकी दर्दनाक मौत हो गई।
खून से लथपथ देखकर थम गई थी सांसे:
शर्मा जी के नाम से पहचाने जाने वाले मशहूर नॉन वाले दीपक शर्मा अब नहीं रहे। आरआर मॉल के मलबे से जब उनका शव निकाला गया तो उनके बड़े भाई जितेंद्र शर्मा अपने भाई को खून से लथपथ देखकर आंसू नहीं थाम सके।
जितेंद्र को उम्मीद थी कि उनके भाई में अभी जिंदगी की सांसे चल रही होंगी। दीपक के बड़े भाई जितेंद्र बिखलते हुई हालत में कह रहे थी कि आखिर कौन सा दिन देखने को मिला है जो सब कुछ चला गया।
उम्मीद की किरण जागती कि बच जाए पति और बेटा:
जैसे ही आसपास के लोगों ने दीपक शर्मा के घर पहुंचकर उनकी पत्नी चित्रा शर्मा से कहा कि मॉल गिर गया तो यह सुनते ही चित्रा की चीख निकल गई। आनन फानन में वह अपने घर से दुकान पर पहुंची तो आसपास लोगों को हुजूम उमड़ा हुआ था। चित्रा ने अपने बेटे आकाश उर्फ हनी को आवाज लगाई तो लोगों की जुबान भी दब चुकी थी। जैसे ही चित्रा को पता चला कि मॉल के मलबे में उनके पति दीपक और बेटा आकाश भी दब गया तो वह गश खाकर बेहोश हो गई।
अन्य लोगों ने उन्हें किसी तरह एक दुकान के बाहर बैठा दिया। जब भी पुलिस और राहत कार्य में जुटे लोग किसी को बाहर निकालते तो चित्रा को एक उम्मीद की किरण जागती कि उनका पति और बेटा निकला या नहीं। जैसे ही पति और इकलौते बेटे की मौत का पता चला तो वह दहाड़े मारकर बिलखने लगी।
चित्रा के दुख का अंदाजा लगाना भी मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी था। पति के साथ बेटे के खोने का गम उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था। आरआर मॉल से शुरू हुआ कारोबार इसी मॉल के मलबे में खत्म हो गया। जिस दुकान के सहारे उनका कारोबार था वह भी चला गया। पति और बेटे की मौत ने उन्हें ऐसा दर्द दिया है जिसे शायद वह ताउम्र भी नहीं भूल सके।
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